मन

mind

 

इस मन को पकड़ो कोई,
यह भागा देखो कही |
थकता नहीं यह,
डरता नहीं यह|
असीमित आशाओ की,
असीमित बाधाओं की ,
बुनता सँवारता
दुनिया यह कोई |

 

कहते है केशव,
मेरे मधुसुधन
मन के तुम स्वामी बनो,
उसके ना तुम आधीन हो,
यह कठिन जरूर है,
असंभव नहीं|
अभ्यास और वैराग्य रुपी  तलवार
से होगा इस मन पर वार
तब हर लक्ष्य पाएँगे
हर चुनौती जीत जाएगें
मन के स्वामी कह लाएँगे
और कान्हा में रंग जाएगें |

10 comments

  1. samyak singh · May 3, 2019

    The picture tells it all.
    A stunner.💙💯

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  2. Mehak Gupta · May 6, 2019

    Beautifully written 👌🏻👌🏻

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  3. Muntazir · May 19, 2019

    Beautifully penned

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  4. Anonymous · June 10, 2019

    Very niceकहते है केशव,
    मेरे मधुसुधन
    मन के तुम स्वामी बनो,
    उसके ना तुम आधीन हो,
    यह कठिन जरूर है,
    असंभव नहीं|
    अभ्यास और वैराग्य रुपी तलवार
    से होगा इस मन पर वार
    तब हर लक्ष्य पाएँगे
    हर चुनौती जीत जाएगें
    मन के स्वामी कह लाएँगे
    और कान्हा में रंग जाएगें
    Lovely explanation 👏👏👏👏

    Liked by 3 people

  5. pelikagupta · June 10, 2019

    Thank you so much.. !!

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  6. harinapandya · January 21, 2020

    बहुत ही बढ़िया रचना 👌

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