वक्त

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वक्त ज़िन्दगी की लगाम है,
इसके पहिये को सलाम है|
जो वक्त एक बार छूट गया,
समझो वो तुमसे रूठ गया|
वक्त को हमारे साथ नहीं,
हमें वक्त के साथ चलना चाहिए|
जो वक्त एक बार गया गुज़र,
वो वापस नहीं आता नज़र|
इसकी गति बहुत तेज़ है,
यह छिपा एक भेष है|
यह एक ऐसी चिड़िया है,
जिसके उड़ने के लिए आकाश कम है|
यह एक ऐसी दौड़ है,
जिसके साथ चलने की लगी सबको होड़ है|
यह एक ऐसा समा है,
जिसने जिया वही भला|
तो देर किस बात की – आओ प्रण ले,
वक्त के आगोश में शरण ले|

6 comments

  1. Unknown's avatar
    Aisha · November 12, 2018

    Wow!! Good work Pelika, keep it up! You’ve gone to many metaphors this time. Truly said.. Time is money 😉

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  2. chaitanyabharatnews's avatar
    chaitanyabharatnews · May 22, 2019

    वक्त का सम्मान बहुत जरूरी है, रेत की तरह फिसलता है। बहुत अच्छी कविता।

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  3. my640's avatar
    my640 · September 25, 2019

    Beautiful lines

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