मन

इस मन को पकड़ो कोई,
यह भागा देखो कही |
थकता नहीं यह,
डरता नहीं यह|
असीमित आशाओ की,
असीमित बाधाओं की ,
बुनता सँवारता
दुनिया यह कोई |
कहते है केशव,
मेरे मधुसुधन
मन के तुम स्वामी बनो,
उसके ना तुम आधीन हो,
यह कठिन जरूर है,
असंभव नहीं|
अभ्यास और वैराग्य रुपी तलवार
से होगा इस मन पर वार
तब हर लक्ष्य पाएँगे
हर चुनौती जीत जाएगें
मन के स्वामी कह लाएँगे
और कान्हा में रंग जाएगें |
The picture tells it all.
A stunner.💙💯
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Thank you so much!!!
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Beautifully written 👌🏻👌🏻
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Thank you so much.. 🙂 🙂
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Beautifully penned
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Thank you.. 🙂
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Very niceकहते है केशव,
मेरे मधुसुधन
मन के तुम स्वामी बनो,
उसके ना तुम आधीन हो,
यह कठिन जरूर है,
असंभव नहीं|
अभ्यास और वैराग्य रुपी तलवार
से होगा इस मन पर वार
तब हर लक्ष्य पाएँगे
हर चुनौती जीत जाएगें
मन के स्वामी कह लाएँगे
और कान्हा में रंग जाएगें
Lovely explanation 👏👏👏👏
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Thank you so much.. !!
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बहुत ही बढ़िया रचना 👌
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Thank you!!!
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