वक्त ज़िन्दगी की लगाम है,
इसके पहिये को सलाम है|
जो वक्त एक बार छूट गया,
समझो वो तुमसे रूठ गया|
वक्त को हमारे साथ नहीं,
हमें वक्त के साथ चलना चाहिए|
जो वक्त एक बार गया गुज़र,
वो वापस नहीं आता नज़र|
इसकी गति बहुत तेज़ है,
यह छिपा एक भेष है|
यह एक ऐसी चिड़िया है,
जिसके उड़ने के लिए आकाश कम है|
यह एक ऐसी दौड़ है,
जिसके साथ चलने की लगी सबको होड़ है|
यह एक ऐसा समा है,
जिसने जिया वही भला|
तो देर किस बात की – आओ प्रण ले,
वक्त के आगोश में शरण ले|
Wow!! Good work Pelika, keep it up! You’ve gone to many metaphors this time. Truly said.. Time is money 😉
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Thank You Aish.. :*
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वक्त का सम्मान बहुत जरूरी है, रेत की तरह फिसलता है। बहुत अच्छी कविता।
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बहुत शुक्रिया || 🙂
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Beautiful lines
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Thank you so much !! 🙂
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